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Thursday, October 4, 2012

मधुशाला - हरिवंशराय बच्चन

मृदु भावों के अंगूरों की आज बना लाया हाला,
प्रियतम, अपने ही हाथों से आज पिलाऊँगा प्याला,
पहले भोग लगा लूँ तेरा फिर प्रसाद जग पाएगा,
सबसे पहले तेरा स्वागत करती मेरी मधुशाला।।१।


प्यास तुझे तो, विश्व तपाकर पूर्ण निकालूँगा हाला,
एक पाँव से साकी बनकर नाचूँगा लेकर प्याला,
जीवन की मधुता तो तेरे ऊपर कब का वार चुका,
आज निछावर कर दूँगा मैं तुझ पर जग की मधुशाला।।२।


प्रियतम, तू मेरी हाला है, मैं तेरा प्यासा प्याला,
अपने को मुझमें भरकर तू बनता है पीनेवाला,
मैं तुझको छक छलका करता, मस्त मुझे पी तू होता,
एक दूसरे की हम दोनों आज परस्पर मधुशाला।।३।

Saturday, July 7, 2012

ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है



ये महलों, ये तख्तों, ये ताजों की दुनिया,
ये इंसान के दुश्मन समाजों की दुनिया,
ये दौलत के भूखे रवाजों की दुनिया,
ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है .

हर इक जिस्म घायल, हर इक रूह प्यासी
निगाहों में उलझन, दिलों में उदासी
ये दुनिया है या आलम-ए-बदहवासी
ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है .


यहाँ इक खिलौना है इसां की हस्ती
ये बस्ती हैं मुर्दा परस्तों की बस्ती
यहाँ पर तो जीवन से है मौत सस्ती
ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है .


जवानी भटकती हैं बदकार बन कर
जवान जिस्म सजते है बाज़ार बन कर
यहाँ प्यार होता है व्योपार बन कर
ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है .

ये दुनिया जहाँ आदमी कुछ नहीं है
वफ़ा कुछ नहीं, दोस्ती कुछ नहीं है 
जहाँ प्यार की कद्र कुछ नहीं है 
ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है .


जला दो इसे फूक डालो ये दुनिया
जला दो, जला दो, जला दो
जला दो इसे फूक डालो ये दुनिया
मेरे सामने से हटा लो ये दुनिया
तुम्हारी है तुम ही संभालो ये दुनिया
ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है .


[Music : S.D.Burman; Singer : Rafi; Lyrics: Sahir Ludhianvi Producer/Director : Guru Dutt; Actor : Guru Dutt, Wahida Rahman, Mala Sinha]

Sunday, March 25, 2012

यह कौन सा धर्म है?


अस्तित्व का भय,
बहुत मौलिक है;
उतना ही मौलिक
जितना, उसपर लिपा पोती करके 
धर्म का शंख बजाना

अगरबत्तियों और हुमाद की खुशबू से
रक्त चाप में संतुलन आता है.
मात्र संतुलन
एक संतुलन के लिए बहुत सारा संतुलन बिगड़ना?
यह कौन सा धर्म है?


- Rahul Raj.

Tuesday, March 20, 2012

अब तुझे मैं याद आना चाहता हूँ



अपने होंठों पर सजाना चाहता हूँ 
आ तुझे मैं गुनगुनाना चाहता हूँ 

कोई आँसू तेरे दामन पर गिराकर 
बूँद को मोती बनाना चाहता हूँ 

थक गया मैं करते-करते याद तुझको 
अब तुझे मैं याद आना चाहता हूँ

छा रहा है सारी बस्ती में अँधेरा 
रोशनी हो, घर जलाना चाहता हूँ 

आख़री हिचकी तेरे ज़ानों पे आये 
मौत भी मैं शायराना चाहता हूँ !!!

Wednesday, February 8, 2012

तुम नहीं तो कुछ नहीं, सीधा सा हिसाब है.


उम्र बेहिसाब है,
थोड़ी सी शराब है. 

ज़िन्दगी की चाह में, 
ज़िन्दगी ख़राब है.

तुम नहीं तो कुछ नहीं,
सीधा सा हिसाब है.

इसकी बात क्यूँ सुनें,
वक्त क्या नवाब है?

फिर बदल गया समां,
इश्क़ इन्कलाब है.

आईने से पूछ लूं,
मूड क्यूँ खराब है?

मौत ग़म के शेल्फ़ की,
आख़िरी किताब है


Monday, February 6, 2012

ख़ुद से बढ़ कर कोई दुनिया में हमसफ़र नही होता


क्यूं कहते हो मेरे साथ कुछ भी बेहतर नही होता
सच ये है के जैसा चाहो वैसा नही होता

कोई सह लेता है कोई कह लेता है क्यूँकी,
ग़म कभी ज़िंदगी से बढ़ कर नही होता

आज अपनो ने ही सीखा दिया हमे,
यहाँ ठोकर देने वाला हर पत्थर नही होता 


क्यूं ज़िंदगी की मुश्क़िलो से हारे बैठे हो,
इसके बिना कोई मंज़िल, कोई सफ़र नही होता 


कोई तेरे साथ नही है तो भी ग़म ना कर,
ख़ुद से बढ़ कर कोई दुनिया में हमसफ़र नही होता

Monday, October 17, 2011

जो बीत गई सो बात गई (Jo Beet gayi so baat gayi)

जीवन में एक सितारा था
माना वह बेहद प्यारा था
वह डूब गया तो डूब गया
अंबर के आंगन को देखो
कितने इसके तारे टूटे
कितने इसके प्यारे छूटे
जो छूट गए फ़िर कहाँ मिले
पर बोलो टूटे तारों पर
कब अंबर शोक मनाता है
जो बीत गई सो बात गई



जीवन में वह था एक कुसुम
थे उस पर नित्य निछावर तुम
वह सूख गया तो सूख गया
मधुबन की छाती को देखो
सूखी कितनी इसकी कलियाँ
मुरझाईं कितनी वल्लरियाँ
जो मुरझाईं फ़िर कहाँ खिलीं
पर बोलो सूखे फूलों पर
कब मधुबन शोर मचाता है
जो बीत गई सो बात गई



जीवन में मधु का प्याला था
तुमने तन मन दे डाला था
वह टूट गया तो टूट गया
मदिरालय का आंगन देखो
कितने प्याले हिल जाते हैं
गिर मिट्टी में मिल जाते हैं
जो गिरते हैं कब उठते हैं
पर बोलो टूटे प्यालों पर
कब मदिरालय पछताता है
जो बीत गई सो बात गई



मृदु मिट्टी के बने हुए हैं
मधु घट फूटा ही करते हैं
लघु जीवन ले कर आए हैं
प्याले टूटा ही करते हैं
फ़िर भी मदिरालय के अन्दर
मधु के घट हैं,मधु प्याले हैं
जो मादकता के मारे हैं
वे मधु लूटा ही करते हैं
वह कच्चा पीने वाला है
जिसकी ममता घट प्यालों पर
जो सच्चे मधु से जला हुआ
कब रोता है चिल्लाता है
जो बीत गई सो बात गई



                               —   हरिवंशराय बच्चन

Wednesday, June 29, 2011

Mat puchh uske pyar ka andaaz...


Usne din raat mujhko sataya itna ki...
Nafrat bhi ho gayi, aur mohabbat bhi ho gyi...

Usne is Nazakat se mere hothon ko chhua...
ke roza bhi na toota, aur aftari bhi ho gyi...

Usne is Ehtraam se mujhse mohabbat ki ke...
Gunaah bhi na hua aur ibadat bhi ho gyi...

Mat puchh uske pyar karne ka andaaz kaisa tha...
Usne is shiddat se seene se lagaya ki maut bhi na hui
aur jannat bhi mil gyi...

Tuesday, March 22, 2011

Abortion in the ears!

**Abortion in the ears**

This is a short story written by Dr Kishore Shah.... he is a gynecologist in Pune and a very gifted writer....enjoy this extremely funny story. 


My wife is an ENT Surgeon while I am a Gynecologist. This can lead to some complications, as I recently learned to my anguish. A General Practitioner called me up and told me that she is sending a patient of hers for an abortion. Unknown to me, she had also referred a female with earwax for removal of the wax to my wife. 


I duly informed the receptionist to send the patient right in as she was expected (and expecting!) As Murphy lays down the laws of our hospital, it was but natural that the patient who wanted the wax removed from her ear, landed up with me. This is the conversation that I had with the patient. 

"Please come in. Be seated." I said with a big smile. I always have a big smile, when I am going to earn some money. The patient gave a feeble smile and sat hesitantly on the edge of the chair. "Relax." 

Tuesday, March 8, 2011

कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती.



लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती,

कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती.


नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है,
चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है.
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है,
चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है.
आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती.


डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है,
जा जा कर खाली हाथ लौटकर आता है.
मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में,
बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में.
मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती.


असफलता एक चुनौती है, इसे स्वीकार करो,
क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो.
जब तक न सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम,
संघर्श का मैदान छोड़ कर मत भागो तुम.
कुछ किये बिना ही जय जय कार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती