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Friday, November 20, 2009
स्कूल के दिन
याद आते है वो स्कूल के दिन,
ना जाते थे स्कूल दोस्तों के बिन|
कैसी वो दोस्ती थी कैसा था वो प्यार,
एक दिन की जुदाई से डरते थे जब आता था शनिवार |
चलते-2 पत्थरो पर मारते थे ठोकर,
कभी हंसकर गाते तो कभी चलते थे रोकर |
कंधो पर बैग लिए हाथ में बोतल पानी,
कैसे पता था बचपन की दोस्ती को बिछुड़ा देगी जवानी |
याद आते है वो शायरी से रंगे हाथ,
क्या दिन थे वो जब करते थे लंच साथ |
छुट्टी की घंटी सुनते ही वो भाग के क्लास से बहार आना,
फिर हंसते-2 दोस्तों में मिल जाना |
काश ! वो दोस्त आज भी मिल जाते,
दिल में फिर से बचपन के फूल खिल जाते
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